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घेवर का स्वाद… मधुरिमा के पास

सावन और त्योहार आ चुके हैं और फिर समय है मधुरिमा मिठाई के खास घेवर का | सावन के दिनों के खास राजस्थानी जायके ने घेवर के रूप में लखनऊ में अब अपनी खास पहचान बना ली है | इसका श्रेय जाता है लखनऊ के परम्परागत प्रतिष्ठान मधुरिमा स्वीट्स को | घेवर एक कुरकुरा और मीठा पकवन है जो सावन ऋतू में लखनऊ और उसके
आस पास क्षेत्रों में अब काफ़ी प्रसिद्ध व्यंजन है। सावन की बात हो और उसमे घेवर का नाम ना आए तो कुछ अटपटा लगेगा। घेवर, सावन का विशेष मिष्ठान माना जाता है | और इसिलए इसे "सावन का शगुन" भी कहते है। यद्यपि ये राजस्थान और उत्तर प्रदेश भारत का व्यंजन है | पर आज पूरे उत्तर प्रदेश के
 
है लखनऊ के परम्परागत प्रतिष्ठान मधुरिमा स्वीट्स को | घेवर एक कुरकुरा और मीठा पकवन है जो सावन ऋतू में लखनऊ और उसके
लोग सावन में घेवर को ही महत्व देते है। मधुरिमा स्वीट्स के डायरेक्टर सृजल गुप्ता के अनुसार सावन में तीज के
अवसर पर बहन-बेटियों को सिंदारा देने की परंपरा बहुत पुरानी है, इसमे चाहे कितना ही अन्य मिष्ठान रख दिया जाए पर घेवर का होना आवश्यकहोता है, इसिलए वर्ष के विशेष समय पर बनने वाली इस पारम्परिक मिठाई घेवर का वर्चस्व टूटना संभव नही है । अब सावन का मौसम है। तो राजस्थानी मिट्टी की परंपरा लखनऊ में भी महक रही है। जिस तरह राजस्थान में बेटी की विदाई के समय ससुराल जाने पर घेवर ले जाना शुभ शगुन है, उसी प्रकार लखनऊ में भी यह एक नयी परंपरा बनती जा रही है और इसे शुभ माना जाने लगा है। ‘शगुन के रूप में घेवर बेटियों के ससुराल ले जाने की एक वजह ये भी है कि मुलायम घेवर की तरह ही आपसी संबंधों में नरमी आये और मिठास बरकरार रहे। लोग इसे
खाना इसिलए पसंद करते है क्योंकि बारिश की वजह से घेवर मुलायम बना रहता है और यही मुलायिमयत घेवर की खासियत है।
मधुरिमा स्वीट्स के घेवर की खासियत
वैसे तो लखनऊ कई में मिठाई विक्रेता घेवर बना रहे है, परन्तु घेवर के स्वाद में जो ठेठ राजस्थानी टच मधुरिमा स्वीट्स ने दिया , उसका कोई तोड़ किसी और मिठाई विक्रेता के पास नही है। मधुरिमा के प्रबंध निदेशक सृजल गुप्ता कहते है कि घेवर के मूल रूप में कोई परिवर्तन न हो इसके लिए हमने वही पारम्परिक पद्धति अपनायी है जो सदियों से चली आ रही है । सावन में इस मिष्ठान की माँग को पूरा करने के लिए लोग महीनो पहले काम आरम्भ कर देते है ।
घेवर बनाने का काम बड़े उत्साह से शुरू होता है क्योंकि ये एक ऐसा मिष्ठान है जो साल में वैसे तो सिर्फ़ दो बार आता है पर इसका महत्व बहुत है। हमारे कारीगर
तरह-तरह के घेवर बनाने में माहिर है। बदलते दौर के साथ-साथ आज घेवर का रूप भी परिवर्तित होने लगा है और काफी वैरायटी भी उपलब्ध है , हमारे यहां के घेवर की सबसे बड़ी खासियत है उसका पारम्परिक बिधि से बनना जिसके लिए हम लोग विशेष लोहांडे इस्तेमाल करते है, जिससे स्वाद में वही टच हो जो राजस्थान के घेवर में होता है। कुल मिला कर सावन के महीने में घेवर की सुगंध पूरे बाजार को महका देती है और तीज व रक्षाबंधन के अवसर पर घेवर के लिए मधुरिमा स्वीट्स पर भीड़ देखते ही बनती है।
मधुरिमा स्वीट्स स्वाद की एक अनोखी गाथा...
मधुरिमा स्वीट्स के विभूति खंड, पत्रकारपुरम और रायबरेली रोड
सावन के मौसम में ही इसकी डिमाण्ड ज्यादा क्यों रहती है ?

पहेली वजह है इस मौसम मे रक्षाबन्धन तीज जैसे त्योहारों का होना तथा हर कोई अपनी बहन बेटियों की विदाई मे इसे ले जाना पसन्द करते हैं और शुभ मानते हैं | दूसरे सावन के सुहाने मौसम में घेवर के स्वाद में नयापन होता है | मधुरिमा स्वीट्स में वैरायटी इतनी है कि स्वाद चुनना कठिन हो जाये और घेवर की साज -सज्जा तो ऐसी होती है , कि देखते ही मुंह में पानी आ जाये | खाने में इतना लाजवाब की बार बार खाने को दिल चाहे | सादा केसरिया घेवर , गोल्ड घेवर और केसरिया मलाई घेवर सब अपने आप में लाजवाब है | कीमत की बात की जाये तो कोई खास नहीं है | सावन में तो इसकी बिक्री जबरदस्त रहती है |
स्थित तीनो शाखाओं में निर्मित व्यंजनो का सोधापन अब पूरी दुनिया में घुल चुका है तभी तो आज मधुरिमा स्वीट्स का एक अलग मुकाम है घेवर के अलावा अन्य मिठाईयों में भी मधुरिमा स्वीट्स का कोई मुकबला नहीं कर सकता । परम्परागत एवं नये-नये स्वाद में बने व्यंजन बहुत प्रसिद्ध होते जा रहे हैं तथा मधुरिमा ने उन व्यंजनों को बड़े ही खूबसूरत अंदाज में पेश किया है । मधुरिमा में मिठाईयो की नई श्रृंखलाओ के साथ साथ नमकीन एवं सुबह के नाश्ते के लिए कचौड़ी की थल का जो शुभारम्भ किया है वह काबिले तारीफ है । सुबह के नाश्ते मे कचौड़ी की थाल , ख़स्ते जलेबी का जो मेल विभूतिखण्ड स्थित मधुरिमा स्वीट्स ने पेश किया है , वह देखते ही बनता है तथा खाने वालों की प्रथम पसन्द बनता जा रहा है । रायबरेली रोड और पत्रकारपुरम शाखा ने भी उस परम्परा को आगे बढ़ाया है | तीनों ही शाखाओ मे रसीली मिठाइयों और विविध स्वाद वाले व्यंजनों के साथ ही १००% वेज बेकरी उत्पाद भी उपलब्ध है | सबसे बड़ी बात जो ओर लोगों का ध्यान आकर्षित करती है | वह सदियों से चली आ रही है प्रथा ' अतिथि देवो भव: ' की है | जी हा यहां पर मालिक से लेकर कर्मचारी तक के लिए ग्राहक की सन्तुष्टि ही प्रथम ध्येय है | परम्परागत एवं आधुनिक मिठाइयों के बल पर सफलता हासिल कर चुका | मधुरिमा स्वीटस की विभूति खण्ड , पत्रकारपुरम और रायबरैली रोड तीनों शाखाओ मे सभी प्रकार के व्यंजन एक छत के नीचे मिलता हैं | खास शाकाहारी लोगो के लिए
बनाये गये इस रेस्टोरेंट में सुबह के वक्त नाश्ते में गरमा गरमा मिलती हैं जिसके अन्तर्गत गोल गप्पे से लेकर बास्केट चाट , पापड़ी चाट उपलब्ध है | मिष्ठान्न की शैली में बेहद सफल मधुरिमा स्वीट्स एक शाकाहारी रेस्तरा है जो कई व्यंजन पेश करता है |
मधुरिमा स्वीट्स ने बेकरी के क्षेत्र में म एंड म (मिल्क एंड हनी ) नाम से कदम रखा है जिसके अन्तर्गत सभी बेकरी उत्पादों को समर्पित की गई जहां लोगों को उनकी पसंद का और बेहतर क्वालिटी वाला बेकरी प्रोडक्ट्स आसानी से मिल सके |
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